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भारत दुनिया के कई देशो में कोरोना वैक्सीन की सप्लाई देने में अहम् रोले निभा रहा है,

भारत की कोरोना वैक्सीन पर दुनिया की निगाहें हैं। कोवीशील्ड के 1,50,000 डोज भारत भूटान को दे चुका है। 20 लाख डोज बांग्लादेश, 10 लाख डोज नेपाल और 1 लाख डोज मालदीव को भी भेजे गए हैं। इसके साथ ही और भी कई देशों को हम कोरोना वैक्सीन देने वाले हैं।

भारत सिर्फ कोरोना वैक्सीन के मामले में ही अहम रोल नहीं निभा रहा, बल्कि दूसरी कई वैक्सीन और मेडिसिन में भी दुनिया हम पर काफी हद तक निर्भर है। साल 1969 में भारतीय बाजार में इंडियन फार्मास्युटिकल का हिस्सा महज 5% था, और ग्लोबल फार्मा की हिस्सेदारी 95% थी। 51 साल बाद यानी 2020 में भारतीय बाजार में इंडियन फार्मास्युटिकल का हिस्सा 85% पर पहुंच चुका है और ग्लोबल हिस्सेदारी 15% पर आ गई है।

पिछले 50 सालों में भारत ने सिर्फ घरेलू मार्केट में ही पकड़ मजबूत नहीं की बल्कि इंटरनेशनल मार्केट में भी जबर्दस्त काम किया है। कोरोना वैक्सीन के बाद फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री में आ रहे बदलावों को लेकर हमने इंडियन ड्रग मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन (IDMA) के नेशनल प्रेसीडेंट महेश एच दोशी से बात की। पढ़िए प्रमुख अंश…

200 देशों को मेडिसिन, 150 देशों को वैक्सीन देते हैं

दोशी के मुताबिक, ‘2019 में भारतीय वैक्सीन मार्केट 94 अरब रुपए का था। जो लगातार और तेजी से ग्रोथ कर रहा है। वो कहते हैं, ‘भारत दुनिया में वैक्सीन के सबसे बड़े निर्माताओं में से एक है। UNICEF को 60%से ज्यादा वैक्सीन हम सप्लाई करते हैं। दो सौ से ज्यादा देशों को मेडिसिन और 150 से ज्यादा देशों को वैक्सीन भारत से सप्लाई की जाती हैं।’

पुणे, हैदराबाद कहलाते हैं वैक्सीन सिटी, 18% की ग्रोथ से बढ़ रही इंडस्ट्री

भारत के दो शहरों- हैदराबाद (जीनोम वैली) और पुणे को वैक्सीन सिटी कहा जाता है। जीनोम वैली का नाम एशिया के टॉप लाइफ साइंसेस क्लस्टर में भी शामिल है, क्योंकि यहां से 100 से ज्यादा देशों में वैक्सीन भेजी जाती है। यहां हर साल वैक्सीन के छह अरब डोज तैयार होते हैं।

जीनोम वैली में एग्रीकल्चर-बायोटेक, क्लिनिकल रिसर्च मैनेजमेंट, बायोफार्मा, वैक्सीन मैन्यूफैक्चरिंग, रेग्युलेटरी एंड टेस्टिंग करने वाली 200 से भी ज्यादा कंपनियां हैं, इसलिए इसे लाइफ साइंसेस क्लस्टर कहा जाता है। दोशी कहते हैं, ‘भारत की वैक्सीन इंडस्ट्री 18% की दर से ग्रोथ कर रही है। ऐसे में भविष्य में इसमें जॉब के ढेरों मौके आने वाले हैं।’

3 लाख करोड़ का मार्केट, 50% हिस्सा एक्सपोर्ट का

दोशी के मुताबिक, अभी भारतीय फार्मा इंडस्ट्री 3 लाख करोड़ रुपए की है। इसमें 50% हिस्सा एक्सपोर्ट से आता है। कोरोना महामारी के बाद इसमें जॉब के मौके और ज्यादा बढ़ेंगे। अब इसमें नई फील्ड जैसे AI, ऑटोमेशन में काफी जॉब आएंगे, क्योंकि अधिकांश वैक्सीन प्रोड्यूसर ऑटोमेटेड प्रोडक्शन की तरफ जा चुके हैं। अभी दुनिया में 90% से ज्यादा खसरा टीके भारत से सप्लाई किए जा रहे हैं। DTP और BCG जैसे टीकों की WHO को 65% से ज्यादा सप्लाई भारत से पूरी होती है। वहीं दुनिया को प्रोफेशनल्स देने में भी हम पीछे नहीं हैं। दुनिया को फार्मा और बायोटेक प्रोफेशनल्स देने के मामले में भारत दूसरे नंबर पर है। हमारे अधिकतर प्रोफेशनल अमेरिका और ब्राजील में सेवाएं दे रहे हैं। इस मामले में पहले नंबर पर चीन आता है।

30 वैक्सीन कैंडीडेट डैवलपमेंट की प्रॉसेस में
दोशी कहते हैं, ‘कोविड-19 की बात करें तो 30 वैक्सीन कैंडीडेट डैवलपमेंट की प्रॉसेस में हैं। सेंट्रल ड्रग्स स्टेंडर्ड कंट्रोल आर्गनाइजेशन (CDSCO) ने देश की सात कंपनियों को कोविड-19 वैक्सीन मैन्यूफैक्चरिंग की परमिशन दी है। सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक की वैक्सीन लगना भी शुरू हो चुकी हैं।’ इसके अलावा कैडिला हेल्थकेयर, बायोलॉजिकल ई, रिलायंस लाइफ साइंसेस, अरबिंदो फार्मा लिमिटेड और जेनोवा बायोफर्मासुकल्स लिमिटेड की वैक्सीन डैवलपमेंट प्रॉसेस में है।

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