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देखे टीम इंडिया 36 पर सिमटकर पहला मैच 8 विकेट से हारी

‘ये नौवां विकेट है भारत का और स्‍कोर है 31 रन। हनुमा विहारी आउट हुए हैं।’

‘शमी ने हट के खेलने की को‌शिश की। चोट लगी है। तेज लगी है। वे अब और बल्‍लेबाजी नहीं कर पाएंगे। 36 के स्कोर पर भारत की दूसरी पारी समाप्त हो गई है।’

बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के पहले टेस्ट मैच में कमेंट्री कर रहे विजय दहिया ने जिस वक्त ये बातें कहीं, पूरा भारतीय खेमा निराश था। साथी कमेंटेटर ने कहा, ‘जी हां ये सचमुच में स्कोरकार्ड ही है, कोई बल्लेबाज दहाई का आंकड़ा नहीं छू सका। ये टीम इंडिया के लिए ऐतिहासिक हार है।’

इस मैच के बाद कप्तान विराट कोहली पैटरनिटी लीव पर चले गए और टीम की कमान अजिंक्य रहाणे को सौंप दी गई। फिर जो हुआ, वह वाकई ऐतिहासिक है। टीम इंडिया तमाम दिग्गज खिलाड़ियों के चोटिल होने के बावजूद ऑस्ट्रेलिया को 4 मैचों की सीरीज में 2-1 से हरा चुकी है।

फाइट बैक, बाउंस बैक जैसी कई थ्योरी अब टीम इंडिया और अजिंक्य रहाणे के लिए दी जा रही हैं, लेकिन असल में क्या इस 4 मैच की टेस्ट सीरीज और रहाणे की कप्तानी से कुछ सीखा जा सकता है…

1. फ्रेशर पर प्रेशर काहे का

मैच में हालात कैसे थेः चेतेश्वर पुजारा, रोहित शर्मा और रहाणे को अलग कर दें तो टीम के बाकी खिलाड़ियों का अनुभव 10 मैच से कम का था। जबकि ऑस्ट्रेलिया के स्टीव स्‍मिथ, डेविड वार्नर, मिचेल स्टार्क समेत छह खिलाड़ी 50 मैच से ज्यादा के अनुभव वाले थे।

जिंदगी के लिए सीखः मैनेजमेंट गुरु एन. रघुरामन कहते हैं, ‘मैं नया हूं, छोटा बच्चा हूं, सामने वाला बहुत ज्यादा शक्तिशाली है। ऐसी बातें भूलकर जो क्षमता आपके भीतर है, उसका प्रदर्शन करना चाहिए। टीम ने यही किया। फ्रेशर्स को ज्यादा दबाव अपने ऊपर नहीं लेना चाहिए।’

2. लीडर वही जो आगे आए

मैच में हालात कैसे थेः टीम इंडिया ने दूसरे मैच की पहली पारी में 326 रन बनाए। इसमें रहाणे ने 112 रन की पारी खेली। उन्होंने 223 गेंदों का सामना किया, एक और रन जुटाने के लिए भागते हुए वे रन आउट हुए। दूसरी पारी में उन्होंने नाबाद 27 रन की पारी खेली।

जिंदगी के लिए सीखः लीडर वो है जो टीम पर कठिनाई आने पर दूसरों पर गुस्सा निकालने के बजाय खुद सबसे आगे खड़ा हो जाए और पूरी ताकत झोंक दे।

3. अपने टीम मेंबर की ताकत समझें, भरोसा करें और जिम्मेदारी दें

मैच में हालात कैसे थेः अजिंक्य रहाणे ने दूसरे मैच में युवा बल्लेबाज शुभमन गिल को ओपनिंग के लिए चुना। साहा की बजाय ऋषभ को विकेट कीपिंग के लिए मौका मिला। चौथे टेस्ट में टी नटराजन, शार्दुल ठाकुर और वॉशिंगटन सुंदर को खिलाया।

जिंदगी के लिए सीखः बेहतर टीम लीडर वो बनता है, जो हालात और माहौल समझकर अपनी टीम का चुनाव करे। उसे अपनी टीम के खिलाड़ियों पर भरोसा हो। आसान और पहले से अंदाजा लगाए जाने वाले फैसलों के बजाय अपने विवेक से फैसले करे।

4. जो करो, उसे एन्जॉय करो

मैच में हालात कैसे थेः चौथे टेस्ट में रहाणे के मैदान पर उतरने से पहले भारतीय खिलाड़ी रनों के लिए संघर्ष कर रहे थे। उन्होंने आते ही शॉट्स खेलना शुरू किया। इसी तरह चौथे टेस्ट में पंत ने 89 रनों की पारी में 9 चौके और 1 छक्का जड़ा।

जिंदगी के लिए सीखः दोनों ही दबाव में मैदान पर आए थे, लेकिन बंधकर बैटिंग करने के बजाय उन्होंने अपनी पारियों को एन्जॉय किया।

5. न बहुत उत्साहित हो, न डरो, शांत रहो

मैच में हालात कैसे थेः दूसरे टेस्ट में शतक लगाने के बाद भी रहाणे ने बहुत आक्रामक जश्न नहीं मनाया। सीरीज जीतने के बाद भी वो शांत थे। तीसरे टेस्ट में हार के कगार पर खड़ी टीम भयभीत नहीं थी।

जिंदगी के लिए सीखः रहाणे के स्वभाव ने आक्रामकता को सही तरह से जाहिर करना सिखाया। उनकी कप्तानी में न सिर्फ खिलाड़ी सुरक्षित महसूस करते रहे, बल्कि शांति से अपना काम करते रहे।

6. आखिरी समय तक हार न मानो

मैच में हालात कैसे थेः तीसरे टेस्ट में हनुमा विहारी ने 161 गेंदों पर 23 रन बनाए। हनुमा इस पारी के दौरान चोटिल थे और दौड़ नहीं पा रहे थे लेकिन, उन्होंने धैर्य नहीं खोया। उनके साथ अश्विन भी डटे रहे और इंडिया को हार के मुंह से निकाला।

जिंदगी के लिए सीखः दूसरों की तरह विहारी आस-पास के माहौल या लोगों की बातों से प्रभावित नहीं हुए। उन्हें IPL में नहीं चुना गया था। कहा गया था कि वे मेहनती हैं, लेकिन उनमें सीमित योग्यता है। विहारी ने सिखाया कि हार नहीं माननी है।

7. बैकअप प्लान हमेशा तैयार रखें

मैच में हालात कैसे थेः सीरीज में मोहम्मद शमी, उमेश यादव, जसप्रीत बुमराह, अश्विन और जडेजा जैसे पहली पंक्ति के गेंदबाज बाहर हो गए। केएल राहुल और हनुमा विहारी की चोट ने भी चिंता बढ़ा दी। संकट की इस घड़ी में टीम इंडिया ने प्लान-बी पर काम किया और नए खिलाड़ियों पर भरोसा जताया।

जिंदगी के लिए सीखः जिंदगी में भी सभी चीजें वैसी नहीं होतीं, जैसा हम सोच के रखते हैं। परिस्थितियां कोई भी समीकरण बिगाड़ सकती हैं। ऐसे में प्लान-ए फेल होने पर प्लान-बी तैयार रखना चाहिए और उस पर भरोसा जताना चाहिए।

8. भाग्य भी बहादुरों का साथ देता है

मैच में हालात कैसे थेः तीसरे और चौथे टेस्ट मैच में भारतीय बल्लेबाजों ने जिस दिलेरी के साथ प्रदर्शन किया, उससे ऑस्ट्रेलियाई कप्तान घबरा गए। सुनील गावस्कर ने कहा कि कप्तान टिम पेन घबराए हुए थे और इसका असर उनके द्वारा गेंदबाजी में बदलाव और फील्डिंग में दिख रहा था। वहीं भारतीय खिलाड़ी अपने प्लान पर कायम रहते हुए बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे थे।

जिंदगी के लिए सीखः अगर आप अपने लक्ष्य को ध्यान में रखकर पूरे मन से कोशिश करते हैं तो भाग्य भी आपका साथ देता है। जाने-माने लेखक पाउलो कोल्हो लिखते हैं कि अगर किसी चीज को दिल से चाहो तो सारी कायनात उसे आपसे मिलाने में लग जाती है।

9. आलोचनाओं का जवाब अपने प्रदर्शन से दें

मैच में हालात कैसे थेः सीरीज के दौरान हुए विवादों के बीच ऑस्ट्रेलियाई कप्तान टिम पेन ने भारतीय टीम से कहा था, “See you at Gabba” यानी गाबा में देख लूंगा। भारतीय टीम ने इस भड़काऊ बयान पर फौरन कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, बल्कि अपने प्रदर्शन से जवाब दिया। गाबा के मैदान में पिछले 32 सालों में ऑस्ट्रेलिया की ये पहली हार है।

जिंदगी के लिए सीखः जिंदगी में कई बार लोग आपकी आलोचना करेंगे। आपको भड़काने की कोशिश करेंगे। अगर उन्हें बातों से जवाब देने की कोशिश करेंगे तो अपने लक्ष्य से भटक सकते हैं। आलोचनाओं का जवाब अपने काम से देना चाहिए।

10. अंत भला तो सब भला

मैच में हालात कैसे थेः ऑस्ट्रेलिया ने एडिलेड में खेले गए डे-नाइट टेस्ट में भारत को 8 विकेट से हरा दिया। भारत की दूसरी पारी 36 रन बनाकर सिमट गई। ये भारत के टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में सबसे छोटा स्कोर रहा। वहीं, भारत का कोई बल्लेबाज दूसरी पारी में दहाई का आंकड़ा नहीं छू सका। इस शर्मनाक हार के बावजूद भारत ने सीरीज पर कब्जा जमाया।

जिंदगी के लिए सीखः कई बार हमारे प्लान में शुरुआती झटके लगते हैं, हम वहीं हार मान लेते हैं। लेकिन, इस सीरीज से हमें सीखने को मिलता है कि लगातार प्रयास करने से शुरुआती असफलता से उबरा जा सकता है। कहा भी गया है- अंत भला तो सब भला।

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