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कोतवाली पुलिस की सरपरस्ती पा कर युवक बना आतंक का पर्याय

अवैध वसूली के लिए पुरवा पुलिस देती है युवक को संरक्षण, जिसकी वजह से वह और उसका परिवार देता है गम्भीर घटनाओं को अंजाम

जिला संवाददाता (PLNEWS)
UNNAO:। सूबे की योगी सरकार की मंशा है कि पीड़ित को न्याय मिले और सही मायने में रामराज्य की स्थापना हो। लेकिन पुरवा की POLICE प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ की सरकार के मंसूबों पर पानी फेरने में कोई भी कसर बाकी नहीं रख रही है। फिर चाहे वह भाजपा का कार्यकर्ता हो या फिर कोई अधिवक्ता या पत्रकार।
पुरवा कोतवाली पुलिस के संरक्षण में कोतवाली गेट के ठीक बगल में अवैध रूप से अशोक पाण्डेय एवं उसकी पत्नी सुधा पाण्डेय निवासी वजीरगंज कस्बा पुरवा की चाय की गुमटी संचालित है और कोतवाली के आधे काम काज वहीं से संचालित होते हैं। सूत्रों की मानें तो उसके बेटे अनुज पाण्डेय द्वारा कोतवाली पुलिस अवैध भैंसा वाहनों और गोवंश वाहनों से अवैध वसूली कराती है और अन्य दो नंबर के कार्यों की अवैध वसूली भी उसी से कराती है। साथ ही उसके दूसरे पुत्र धीरज पाण्डेय को कोतवाली के एक उपनिरीक्षक एवं कुछ पुलिसकर्मी भी अपना निजी वाहन चालक बनाकर विभिन्न प्रकरणों में अवैध वसूली कराते हैं। अगर पुलिस विभाग के आला अधिकारी अपने गोपनीय विभाग से जांच करा लें तो हकीकत जानने के बाद उनके पैरों तले से जमीन खिसक जाएगी। ताज़ा प्रकरण शुक्रवार का है जब स्थानीय कस्बा निवासी एडवोकेट रत्नम चौरसिया की एक वैन में अनुज पाण्डेय ने कस्बा स्थित पीराशाह के निकट अपनी बाइक से पीछे से जोरदार टक्कर मारी और गिर गया। वहीं उसके हल्की चोट पैर में लगी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार वह ओवर स्पीड में हाथ छोड़ कर बाइक चला रहा था। घटना के बाद वैन चालक ने वैन रोकी तो पुरवा पुलिस का संरक्षण प्राप्त अनुज पाण्डेय ने चालक को मारा और वैन की चाभी निकाल ली। इसका विरोध जब वैन में बैठी आया (स्कूल सहचर) ने किया तो उसको भी मां बहन की भद्दी भद्दी गालियां देकर उसे भी मारा और मौके पर भीड़ एकत्रित होने लगी। इसके बाद अनुज पाण्डेय वैन की चाभी लेकर वहां से धमकियां देते हुए रफूचक्कर हो गया। जब इसकी सूचना एडवोकेट रत्नम चौरसिया को मिली तो वह चाभी लेने अपने एक शिक्षक साथी के साथ अनुज पाण्डेय के पास गये। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के गेट के सामने स्थित एक मेडिकल स्टोर पर जब अनुज मिला तो एडवोकेट रत्नम चौरसिया ने वैन की चाभी देने को कहा। इस पर वह मां बहन की गालियां देते हुए पत्रकारों और अधिवक्ता को भी गालियां देते हुए जान से मारने की धमकी दी। इसका विरोध करने पर अनुज, उसके पिता अशोक, भाई धीरज, मां सुधा एवं कुछ अन्य ने मिलकर अधिवक्ता एवं पत्रकार रत्नम चौरसिया एवं उनके साथियों को ईंट पत्थर एवं धारदार हथियारों से मारा पीटा और अनुज ने एडवोकेट रत्नम चौरसिया के गले से सोने की चेन छीन ली और उनका चश्मा भी तोड़ दिया। भीड़ बढ़ती देख वे सभी हमलावर धमकियां देते हुए फरार हो गए। पीड़ित रत्नम चौरसिया ने कोतवाली प्रभारी चंद्रकांत सिंह, सीओ संतोष सिंह समेत उच्चाधिकारियों को घटना से अवगत कराया और अपने अधिवक्ता एवं पत्रकार साथियों को भी बताया। पीड़ित रत्नम चौरसिया की तहरीर पर कार्यवाही करने के बजाय कोतवाली प्रभारी चंद्रकांत सिंह तहरीर बदलने का दबाव बनाने लगे और प्रत्यक्ष रूप से आरोपी का पक्ष लेते हुए उसकी ओर से क्रास अभियोग पंजीकृत करने की धमकी देने लगे। साथ ही सही घटना को घुमाफिरा कर आपसी मारपीट दर्शाकर आरोपी का भी मेडिकल कराया जबकि पीड़ित पक्ष से घायल लोगों का मेडिकल विलम्ब से कराया गया। चार दिन पहले ही आरोपी अनुज ने कस्बा स्थित एक बाइक मैकेनिक पर भी कुल्हाड़ी से हमला करके उसे गम्भीर रूप से घायल कर दिया था। उक्त प्रकरण में भी कोतवाली पुलिस ने पीड़ित के प्रार्थना पत्र को फाड़कर फेंक दिया था और आपसी विवाद दिखाकर धारा 151 में दोनों पक्षों का चालान कर मामले का पटाक्षेप कर दिया। इसके अलावा भी दर्जनों मामलों में कोतवाली पुलिस ने अनुज पाण्डेय को संरक्षण देते हुए उसके विरुद्ध आए संगीन अपराधों को अनदेखा करते हुए शांति भंग की कार्यवाही कराकर अपना पल्ला झाड़ चुकी है। सूत्रों की मानें तो अभी भी पुरवा कोतवाली में उसके विरुद्ध कई प्रकरण दर्ज है। कुछ महीने पहले भी इसी आरोपी अनुज पाण्डेय ने पुलिस विभाग के एक कर्मी एवं राजस्व कर्मी से भी अभद्रता की थी लेकिन पुरवा पुलिस ने उक्त प्रकरण को भी दबा दिया था। कोतवाली पुलिस ने अपनी गैरजिम्मेदाराना रवैए एवं अवैध वसूली के चक्कर में शुक्रवार को ही एक भाजपा नेता को भी कोतवाली परिसर में मारा और अभद्रता की। पुलिस अधीक्षक ने उक्त दारोगा को लाइन हाजिर कर दिया। आखिर पुरवा पुलिस गंदे लोगों को संरक्षण देकर क्या साबित करना चाहती है? आखिर अवैध वसूली का कारोबार इतना प्रभावशाली है कि कोतवाली पुलिस स्वयं की कार्यशैली को दागदार करने से बाज नहीं आ रही है।

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