उत्तर प्रदेशलखनऊ

प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करेगी वर्षों के शोध के बाद पेश हेमो-डी

लखनऊ। देश-दुनिया में फैली महामारी के प्रकोप बीच प्रतिरक्षा प्रणाली के विकास करने के लिये वर्षों के  शोध के बाद हेमो-डी को पेश किया गया है। वहीं इसके अलावा कंपनी ने माईग्रेन के इलाज के लिए न्यूरिन-एम प्रस्तुत किया है। इन दो अनुसंधान आधारित उत्पादों का क्लिनिकल ट्रायल सीसीआरयूएम ने किया और फिर एनआरडीसी को यह तकनीक हस्तांतरित कर दी, जिसने इन उत्पादों को बनाने का लाईसेंस ड्रग्स लैब को दिया। ड्रग्स लैब ये उत्पाद लॉन्च करने वाली पहली यूनानी कंपनी है। आज यहां दो यूनानी दवाओं के पेश करने के  लिये हुये समारोह में डॉक्टर मोहम्मद सिकंदर हयात सिद्दीकी, डायरेक्टर यूनानी सर्विसेस, यूपी, डॉक्टर जमाल अख्तर, प्रिंसिपल, तकमील उत-तिब कॉलेज, लखनऊ और डॉक्टर सैयद अहमद खान, डिप्टी डायरेक्टर, सीसीआरयूएम, आयुष मंत्री, भारत सरकार थे। विशेष अतिथियों में डॉक्टर नफीस खान, डिप्टी डायरेक्टर, सीआरआईयूएम मंत्री, आयुष, भारत सरकार एवं जनाब डॉक्टर मोजिबुर रहमान, सदस्य, सीसीआईएम, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार थे। इस अवसर पर हकीम सिराजुद्दीन अहमद ने कहा, ‘‘देखा गया है कि महामारी का शिकार ज्यादातर वही लोग होते हैं, जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है। मजबूत शरीर वाले लोगों पर वायरस का असर ज्यादा नहीं हो पाता और वो तेजी से स्वास्थ्य लाभ लेने में सफल होते हैं। हमारा उत्पाद हेमो डी शरीर की दुर्बलता को दूर कर प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है, ताकि उसे रोगों से लड़ने की शक्ति मिले। उन्होंने आगे कहा, ‘‘ड्रग्स लैबोरेटरीज़ में हम निरंतर शोध करते हुए यूनानी विधि से उच्च गुणवत्ता की दवाईयां बनाते हैं। यह विधि न केवल चिकित्सा की सबसे पुरानी विधियों में से एक है, बल्कि अपने कारगर इलाज के चलते पूरी दुनिया में लोकप्रिय भी हो रही है। हमारे इन दोनों उत्पादों ने शोध के चरण में बहुत अच्छे परिणाम दिए। इन दवाईयों का लाभ ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए हम इन्हें बाजार में प्रस्तुत कर रहे हैं। खासकर मौजूदा महामारी के दौर में किफायती मूल्य में हेमो डी जैसी उच्च गुणवत्ता की दवाई लोगों तक पहुंचाना हमारा ध्येय भी है और जनसेवा का साधन भी। भारत के सर्वश्रेष्ठ डॉक्टर्स एवं वैज्ञानिकों ने सालों की कड़ी मेहनत व शोध के बाद माईग्रेन के लिए न्यूरिन-एम एवं आम दुर्बलता को दूर कर प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत बनाने के लिए हेमो-डी का फॉर्मूला तैयार किया है। इन औषधियों का निर्माण करने वाले वैज्ञानिकों का दावा है कि ये दवाएं बहुत ही ज्यादा प्रभावशाली हैं और आधुनिक युग में यूनानी चिकित्सा पद्धति को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। ये दवाईयां आम लोगों के लिए बनाई गई हैं, इसलिए इनकी प्रति टैबलेट का मूल्य केवल 4 रूपये होगा, जो आम आदमियों की पहुंच में है। ये दोनों दवाईयां इस माह से सभी अग्रणी रिटेल आउटलेट्स और डॉक्टर्स के पास मिलेंगी। इन दवाईयों का निर्माण करने वाली कंपनी, ड्रग्स लैब्स का 230 साल पुराना इतिहास है, जो हकीमों की आठ पीढ़ियों से जुड़ा है। सातवीं पीढ़ी के हकीम सिराजुद्दीन अहमद ने सन 1985 में मेरठ में ड्रग्स लैब की स्थापना की थी। उन्हें यूपी सरकार द्वारा यूपी रतन का पुरस्कार भी दिया गया। उनके पिता हकीम सैफुद्दीन अहमद को सन 1972 में पद्मश्री का पुरस्कार मिला और वो भारत के तीन राष्ट्रपतियों के व्यक्तिगत हकीम भी रहे। वो भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय में यूनानी चिकित्सा के सलाहकार भी थे। ड्रग्स लैब उन पहली कंपनियों में से एक थी, जिन्हें सन 2005 में जीएमपी सर्टिफिकेट मिला। ड्रग्स लैब यूनानी पद्धति की पहली कंपनी है, जिसने श्रेष्ठ डॉक्टर्स से संपर्क कर उन्हें यूनानी दवाईयों की पर्ची लिखने के लिए मनाया। 2014 में ड्रग्स लैब को ‘सर्वश्रेष्ठ यूनानी निर्माता कंपनी’ के लिए हकीम अज़मल ख़ान ग्लोबल अवार्ड दिया गया और सन, 2018 में यह डब्लूएचओ मानकों के अनुरूप प्रतिष्ठित ‘आयुष प्रीमियम’ सर्टिफिकेट पाने वाली पहली यूनानी पद्धति की कंपनी बनी। ड्रग्स लैब के आधुनिक प्लांट में लेटेस्ट मशीनरी और अत्याधुनिक टेक्नॉलॉजी का उपयोग किया जाता है। ड्रग्स लैब भारत में सर्वोच्च सरकारी संस्थानों जैसे सीसीआरयूएम, सीजीएचएस एवं अन्य राज्य सरकारों तथा खुले बाजार में अपने चिकत्सा उत्पाद बेचती है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button