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कोरोना के असर में नियंडरथल के जीनों की अहम भूमिका, 20 प्रतिशत कम कर देता बिमार पड़ने का चांस

नई दिल्ली, कोरोना वायरस संक्रमण के बाद व्यक्तियों पर अलग-अलग ढंग से असर करता है। कुछ लोगों में बहुत मामूली से लक्षण दिखाई देते हैं और कुछ लोगों में कोई लक्षण नहीं दिखता, जबकि कुछ व्यक्ति गंभीर रूप से बीमार हो जाते हैं। अब जापान में ओकिनावा की साइंस एंड टेक्नोलॉजी यूनिवर्सटिी के शोधकर्ताओं ने एक नए अध्ययन में पता लगाया है कि जीनों का एक समूह व्यक्ति के कोविड से गंभीर रूप से बीमार पड़ने के चांस 20 प्रतिशत कम कर देता है।

जीनों का यह समूह हमें विलुप्त हो चुके नियंडरथल मानव से विरासत में मिला है। नियंडरथल आदि मानव की एक प्रजाति थी, जो करीब 40000 वर्ष पहले यूरेशिया (यूरोप और एशिया) में रहती थी। समझा जाता है कि जलवायु परिवर्तन और बीमारियों की वजह से ये आदि मानव विलुप्त हो गए। ओकिनावा यूनिवर्सटिी के प्रो. स्वांते पाबो ने कहा कि यह बात सही है कि व्यक्ति में पहले से मौजूद डायबिटीज और दूसरी बीमारियों की वजह से कोविड गंभीर रूप ले सकता है, लेकिन इसके साथ ही आनुवंशिक कारण भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं।

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