उत्तर प्रदेश

किसान भौतिकवाद से बाहर निकले:-वीके सचान

अलीगढ़: विशाल सक्सैना स्वतंत्र पत्रकार:-हरित क्रांति के बाद जिस तेजी से देश में फसलों का उत्पादन बढ़ा यह हमारे लिए एक बड़ी उपलब्धि थी लेकिन कई अन्य ऐसे पहलू भी थे जिनको जाने अनजाने भुला दिया गया कृषि पूर्ण रूप से व्यवसाय के रूप में तब्दील हो  गई जैविक खेती लगभग समाप्त हो गई लोगों ने गाय और बैल पालना बंद कर दिया पेस्टिसाइड और केमिकल का उपयोग इतना अधिक हुआ की भोजन में मीठा जहर बनकर मनुष्य के शरीर में प्रवेश करने लगा जैसे-जैसे पेस्टिसाइड और केमिकल का उपयोग बड़ा जमीन की उपज की छमता कम होने लगी और जिन फसलों को कम पानी की आवश्यकता होती थी उन्हें अधिक से अधिक पानी की आवश्यकता होने लगी इसके परिणाम यह हुए  हमने ट्यूबर लगाने प्रारंभ समर से पानी खींचा आज स्थिति यह है भूगर्भ जल का भी स्तर दिन पर दिन नीचे गिरता जा रहा है कहा जाता है आने वाला समय पानी के लिए एक बड़ा संकट का कारण बन सकता है जैसे-जैसे कृषि में आधुनिक मशीनों का उपयोग शुरू हुआ उससे लोगों का श्रम बचा लेकिन उसके भी कई घातक परिणाम आज हमारे सामने खड़े हैं आज  परंपरागत खेती की बात हो रही है गोवंश खेती की बात हो रही है लेकिन मेरा ऐसा मानना है इसे धरातल पर लाने के लिए किसानों को पुनः जैविक खेती की ओर अपना रुझान बढ़ाना होगा जिससे अच्छी फसल हो और देश बीमारियों से दूर रहे विषय बहुत लंबा हो जाएगा मैं सिर्फ इतना ही कहना चाहूंगा भौतिकवादी दौड़ में इतने अंधे ना हो जाए कि हमारी आने वाली पीढ़ी हमें हिना भावना से देखें और ऐसा इसलिए होना संभव है हम लगातार प्रकृति के सभी संसाधनों का दुरुपयोग कर रहे हैं लेकिन प्रकृति को वापस देने के नाम पर हम जहर डाल रहे हैं केंचुए, दीमक, तितली, यह हमारी दुश्मन नहीं है लेकिन जाने अनजाने में हमने इनका भी अंतर कर दिया किसान जागरूक हो जैविक खेती की ओर बड़े यही मेरा किसानों के लिए एक संदेश है धन्यवाद

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