म्यांमार में हुआ तख्तापलट,सेना ने एक साल के लिए इमरजेंसी लगाई,
10 साल पहले डेमोक्रेसी सिस्टम अपनाने वाले म्यांमार में दोबारा सैन्य शासन लौट आया है। देश में एक साल के लिए इमरजेंसी लगा दी गई है। सेना ने सोमवार तड़के देश की स्टेट काउंसलर आंग सान सू की, प्रेसिडेंट यू विन मिंट के साथ कई सीनियर नेताओं और अफसरों को हिरासत में ले लिया। इसके बाद सेना के टीवी चैनल ने बताया कि मिलिट्री ने देश को कंट्रोल में ले लिया है।
देश में शासन कर रही पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (NLD) के स्पोक्स पर्सन म्यो न्यूंट ने न्यूज एजेंसी शिन्हुआ से इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि मुझे रिपोर्ट मिली है कि स्टेट काउंसलर और प्रेसिडेंट को सेना ने हिरासत में ले लिया है। जहां तक मेरी जानकारी है, शान प्रांत के प्लानिंग और फाइनेंस मिनिस्टर यू सो न्यूंट ल्विन, काया प्रांत के NLD चेयरमैन थंग टे और अय्यरवाडी रीजन पार्लियामेंट के कुछ NLD रिप्रजेंटेटिव्स को हिरासत में लिया गया है।
न्यूंट ने यह भी कहा कि पार्टी की सेंट्रल एग्जीक्यूटिव कमेटी के 2 मेंबर्स भी हिरासत में हैं। हमारे मेंबर्स ने बताया है कि मुझे भी हिरासत में लिए जाने की तैयारी है। मेरी बारी जल्द ही आएगी।
2011 तक देश में सेना का शासन रहा
सेना की इस कार्रवाई से सरकार में तनाव और सेना के तख्तापलट के संकेत मिल रहे हैं। म्यांमार में 2011 तक सेना का ही शासन रहा। आंग सान सू की ने कई साल तक देश में लोकतंत्र लाने के लिए लड़ाई लड़ी। इस दौरान उन्हें लंबे वक्त तक घर में नजरबंद रहना पड़ा।
राजधानी में फोन और इंटरनेट बंद
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, देश की राजधानी नेपाईतॉ में टेलीफोन और इंटरनेट सर्विस सस्पेंड कर दी गई हैं। हाल में चुने गए पार्लियामेंट के लोअर हाउस को सोमवार को बुलाया गया था, लेकिन सेना ने इसे टालने का ऐलान कर दिया। म्यांमार में बीते 8 नवंबर को चुनाव हुए थे। सैन्य शासन खत्म होने के बाद देश में दूसरी बार ये चुनाव हुए थे। स्पूतनिक के अनुसार, जनवरी में म्यांमार की सेना ने इसमें धोखाधड़ी का आरोप लगाकर तख्तापलट की आशंका जताई थी।
अमेरिका और आस्ट्रेलिया ने कहा – सेना नेताओं को तुरंत रिहा करे
व्हाइट हाउस के स्पोक्स पर्सन जेन साकी ने कहा कि म्यांमार में सेना के कदम के बारे में प्रेसिडेंट जो बाइडेन को ब्रीफ किया गया है। इस मसले पर अमेरिका रीजनल पार्टनर्स से कॉन्टैक्ट में है। हम म्यांमार में लोकतंत्र का समर्थन करते हैं।
आस्ट्रेलिया ने भी म्यांमार में बने हालात पर गहरी चिंता जताई है। देश के विदेश मंत्री मारिस पेन ने सेना को कानून के शासन का सम्मान करने और गलत तरीके से हिरासत में लिए गए सभी नेताओं को तुरंत रिहा करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया चुनावी प्रक्रिया के बाद चुनी गई नेशनल असेंबली के शांति से गठन का मजबूती से समर्थन करता है।
2015 चुनाव में आंग सान सू की की पार्टी को मिला था बहुमत
अपर हाउस
- नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (NLD) – 131
- यूनियन सॉलिडेरिटी एंड डेवलपमेंट पार्टी (USDP) – 12
- सेना के प्रतिनिधि – 56
लोअर हाउस
- नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (NLD) – 238
- यूनियन सॉलिडेरिटी एंड डेवलपमेंट पार्टी (USDP) – 28
- सेना के प्रतिनिधि – 110
भारत का पड़ोसी और करीबी देश
भारत और म्यांमार दोनों पड़ोसी हैं। दोनों के संबंध काफी पुराने हैं। पड़ोसी देश होने के कारण भारत के लिए म्यांमार का आर्थिक, राजनीतिक और रणनीतिक महत्व भी है। भारत और म्यांमार की 1600 किमी से ज्यादा लंबी सीमा मिलती है। बंगाल की खाड़ी में समुद्री सीमा से भी दोनों देश जुड़े हैं।
अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मणिपुर और नगालैंड की सीमा म्यांमार से सटी है। इन प्रदेशों में अलगाववाद और घुसपैठ रोकने के लिए भारत के लिए म्यांमार का साथ बहुत जरूरी है।
तख्तापलट का भारत पर असर
म्यांमार में लगभग 50 साल रही फौजी सरकार भारत के साथ संबंध बिगाड़ने के पक्ष में नहीं रही। हालांकि, भारत म्यांमार में लोकतंत्र का सपोर्ट करता है। इसलिए म्यांमार की सेना के चीन की ओर झुकाव का अंदेशा है।
ऐसी भी खबरें आती रही हैं कि चीन म्यांमार के विद्रोहियों को हथियार देकर उन्हें भारत के खिलाफ उकसा रहा है। ऐसा करके यह पूर्वोत्तर के राज्यों में अशांति फैलाना चाहता है। नीदरलैंड के एमस्टर्डम आधारित थिंक टैंक यूरोपियन फाउंडेशन फॉर साउथ एशियन स्टडीज (EFSAS) ने अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया था।
पाकिस्तान आतंकियों को दे रहा ट्रेनिंग
जर्मन समाचार एजेंसी डी-डब्ल्यू की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI म्यांमार में आतंकवादी समूहों को ट्रेनिंग दे रही है। इसका मकसद सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देकर देश को अस्थिर करना है। साउथ एशिया डेमोक्रेटिक फोरम के एनालिस्ट सिगफ्रीड ओ वुल्फ ने यह जानकारी दी थी। चीन और पाकिस्तान का म्यांमार में यह गठजोड़ भारत के लिए अब बड़ा खतरा बन सकता है।