क्या आपको भी वैक्सीन लगवाने से डर लग रहा है? यदि हां तो क्यों पूरी खबर पढ़े
क्या आपको भी वैक्सीन लगवाने में डर महसूस हो रहा है? यदि हां तो इसकी वजह फियर ऑफ नीडिल या ट्राइपैनोफोबिया भी हो सकती है। कोई भी इंजेक्शन या सुई लगवाने से पहले होने वाले डर को ही फियर ऑफ नीडिल कहते हैं।
सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक अमेरिका में 7% वयस्क ट्राइपैनोफोबिया के चलते वैक्सीन नहीं लगवा रहे हैं। भारत में भी लोग इसके शिकार हो सकते हैं, लेकिन अभी इसका कोई सरकारी डेटा नहीं है। आइए 11 सवाल-जवाब के जरिए जानते हैं कि ट्राइपैनोफोबिया है क्या? यदि इसके लक्षण आप में भी हैं तो इससे कैसे बचें।
- ट्राइपैनोफोबिया क्या है?
हेल्थलाइन के मुताबिक, ट्राइपैनोफोबिया ऐसा मेडिकल प्रोसिजर है, जिसमें इंजेक्शन या हाइपोडर्मिक सुई लगवाने से ठीक पहले बहुत ज्यादा डर महसूस होता है। यह एक तरह का डिसऑर्डर भी है। इस तरह का डर सबसे ज्यादा बच्चों में होता है, क्योंकि बच्चों की त्वचा बहुत सेंसिटिव होती है। इसलिए बच्चे सुई देखकर डरते हैं।
वयस्क होने पर बॉडी का अनुभव बदल जाता है और तब लोग इंजेक्शन आसानी से लगवा लेते हैं। लेकिन, कुछ लोगों में बड़े हाेने के बाद भी बचपन का फोबिया बना रहता है, इसलिए वे इंजेक्शन लगवाने से डरते हैं।
- कोरोना की वैक्सीन लगवाने से पहले क्यों डर रहे हैं लोग?
नई दिल्ली के AIIMS में रूमैटोलॉजी डिपार्टमेंट की हेड डॉक्टर उमा कुमार कहती हैं कि भारत में हर किसी के डर के पीछे अलग-अलग वजह हैं। कुछ लोग वैक्सीन पर ट्रस्ट नहीं कर पा रहे हैं, कुछ लोग वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स से डर रहे हैं। हां, जो लोग इंजेक्शन लगवाने से डर रहे हैं, वे ट्राइपैनोफोबिया के शिकार हैं।
- लोग वैक्सीन पर सवाल क्यों उठा रहे हैं?
डॉक्टर उमा कहती हैं कि मैंने करीब 35 से 40 लोगों से वैक्सीन को लेकर बातचीत की है। जब उनसे वैक्सीन लगवाने को कहा, तो उन्होंने पूछा कि वे वैक्सीन क्यों लगवाएं? कुछ ने कहा उन्हें वैक्सीन पर ट्रस्ट नहीं है। कुछ बोले कि जब इंफेक्शन कम हो गया है तो वे वैक्सीन क्यों लगवाएं। कइयों ने तो कहा कि वैक्सीन के साइड इफेक्ट हैं, इससे मौतें हो रही हैं। एक ने कहा कि अब कोरोना अपने देश से जा रहा है, रिकवरी रेट भी ज्यादा है।
बहुत समझाने पर कुछ ने कहा कि आप कहती हैं, तो लगवा लेंगे। कुल मिलाकर देखें तो अब लोग बहुत जागरूक हो चुके हैं। हर किसी के पास वैक्सीन के बारे में जानकारी है। लोगों यह भी कहना है कि वे वैक्सीन लगवा लेंगे, लेकिन उन्हें गारंटी मिले कि इससे उन्हें कुछ नहीं होगा, मास्क नहीं लगाना होगा।
- किसी व्यक्ति को फोबिया क्यों होता है ?
इस पर कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर संजय कुमार चुघ कहते हैं कि ज्यादातर फोबिया पिछले अनुभवों की वजह से होते हैं। इसमें किसी चीज का डर व्यक्ति के अंदर बैठ जाता है। जब वह उस चीज को देखता-सुनता है या गुजरता है, तो उससे डरने लगता है। ज्यादातर फोबिया फियर सेंसटिव होते हैं। जैसे क्लस्ट्रोफोबिया में कुछ लोग लिफ्ट में चढ़ने या बंद कमरे में रहने से डरते हैं। फोबिया के रिएक्शन नुकसानदायक भी हो सकते हैं। ये फोबिया पर निर्भर करता है कि वह कौन सा फोबिया है।
फोबिया से डील करने का तरीका हर किसी में अलग हो सकता है। कुछ लोग इससे खुद बाहर निकल सकते हैं, कुछ इसके साथ जीना सीख सकते हैं। डॉक्टर मेडिटेशन की भी सलाह देते हैं, क्योंकि इससे बॉडी और ब्रेन रिलैक्स होने से ट्राइपैनोफोबिया के सिंप्टम्स कम होते हैं।
डॉक्टर उमा कुमार कहती हैं कि कॉग्नीटिव बिहेवियोरल थेरेपी (CBT) और एक्सपोजर थेरेपी के जरिये भी इसका इलाज संभव है। यदि मरीज को ऐसा डिप्रेशन या एंग्जाइटी के चलते हो रहा है, तो उसकी दवा भी देते हैं।
- ट्राइपैनोफोबिया से क्या दिक्कतें आती हैं?
पीड़ित लोगों को तनाव से पैनिक अटैक भी आ सकता है। इससे उनके ट्रीटमेंट में देरी हो सकती है। यदि कोई पुरानी बीमारी है या मेडिकल इमरजेंसी आती है तो काफी दिक्कत हो सकती है।
- यदि कोई ट्राइपैनोफोबिया का शिकार है और वैक्सीन भी लगवाना चाहता हैं तो क्या करे?
डॉक्टर संजय चुघ कहते हैं कि ऐसे व्यक्ति की काउंसिलिंग करके उसके भय को निकालना होगा। उसे डेमो दिखाना होगा या बताना होगा कि यह खतरनाक चीज नहीं है, दूसरे लोग भी वैक्सीन या इंजेक्शन लगवा रहे हैं।
थेरेपी की मदद भी ली जा सकती है। इसमें जिस चीज का व्यक्ति को डर है, उसी का एक्सपोजर देकर उसके डर को निकालते हैं। लोगों के व्यवहार में बदलाव लाकर भी डर निकलना पड़ता है।
डॉक्टर उमा कहती हैं कि अभी इंजेक्शन का कोई अल्टरनेटिव नहीं है। मीजल्स वैक्सीन या ओरल वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है, लेकिन इंतजार करना है।
- वैक्सीन लगवाने से पहले क्या करें, जिससे फियर ऑफ नीडिल कम हो?
इन दो ग्राफिक्स के जरिए समझें…
अमेरिका में 25% वयस्क ट्राइपैनोफोबिया के शिकार हैं
सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन(CDC) के मुताबिक अमेरिका में 25% वयस्क ट्राइपैनोफोबिया शिकार हैं। 7% वयस्क इसी डर से कोरोना वैक्सीन नहीं लगवा रहे हैं, जबकि उन्हें पता है कि वैक्सीन लगवाए बिना उनमें हर्ड इम्युनिटी नहीं आने वाली और वे सेफ भी नहीं हैं।
एक स्टडी के मुताबिक फियर ऑफ नीडिल के चलते अमेरिका में करीब 16% वयस्क फ्लू की वैक्सीन नहीं लगवाते हैं। वहीं, ब्रिटेन की 10% आबादी इससे प्रभावित है।