अनलॉक 1.0 की चुनौतियां सामाजिक समस्या अधिक है: डीसीपी सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी
- मानवीय संवेदनाओं और भावनाओं के साथ कार्य कर रही है लखनऊ पुलिस
लखनऊ (यूएनएस)। लखनऊ में कमिश्नरी प्रणाली लागू होने के बाद जहां एक तरफ अपराध और अपराधियों पर लगाम तो लगी ही है वही लखनऊ पुलिस का संवेदनाओं से भरा मानवीय चेहरा भी सामने आया है। जो पुलिस व्यवस्था पर
सवाल उठाते थे उन्होने लॉकडाउन के दौरान पुलिस का सहयोग और मानवता को साक्षात देखा और महसूस भी किया है। पुराने ढर्रे पर चल रही पुलिसिंग प्रणाली अब पूरी तरह से बदल चुकी है। पुलिस उपायुक्त पश्चिमी सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी के अनुसार इस समय लॉकडाउन हटा दिया गया है अनलॉक 1.0 चल रहा है।
पश्चिम श्रेत्र का इलाका हमेशा से संवेदनशील रहा है। ऐसे में अपराधी तत्व भी सक्रिय हो जाते है। उनसे प्रभावी ठंग से निपटना भी एक चुनौती है।
संकरी गलियां सडकों पर भीड़ सोशल डिस्टेंसिंग का अभाव सब यहां पर देखने को मिलता है। ऐसे मे लोगों को कोरोना से बचाना और कोविड-19 का प्रोटोकाल का पालन करवाना पुलिस के लिये एक चुनौती के साथ सामाजिक समस्या है। जिसे दूर करने के लिये सभी का सहयोग अपेक्षित है। कमिश्नरी प्रणाली में हो रही त्वरित पुलिसिंग के चलते लोगों का भरोसा पुलिस पर बढ़ा है।
आधुनिक संसाधनों की उपलब्धता और जिम्मेदारियों के बंटवारें के कारण पुलिस का रिस्पांड टाइम काफी कम हुया है। इससे अपराधों और अपराधियों पर लगाम लगी है। जो अपराध हुये भी है तो तुरंत उनका खुलासा भी हुआ है। राजधानी में अकेले रहने वाले बजुर्ग अपराधियों के लिये आसान से शिकार होते है। इसकोदेखते हुये आपरंेशन सवेरा के तहत पंजीकरण करवाये गये थे। जिसमें बहुत से बुजुर्ग दम्पत्तियों व अकेले बुजुर्गो ने अपनी सुरक्षा के लिय पंजीकरण करवाया है और रोज करवा रहे है।
इनकी देखभाल और सुरक्षा की जिम्मदारी पुलिस निभा रही है। लॉकडाउन के दौरान पुलिस का ये मानवीय चेहरा तो सभी ने देखा है। आज पुलिस मानवीय संवेदनाओं के साथ अपना काम कर रही है। डीसीपी के अनुसार कोविड महामारी से बचाव के लिये मीडिया सहायता कर सकती है। खबरों को सनसनीखेज तरीके से प्रस्तुत करने से समाज में भय का वातावरण उत्पन्न होता है। इससे पुलिस को कार्य करने में थोड़ी परेशानी होती है। बेहतर पुलिसिंग के लिये मीडिया का भी सहयोंग अपेक्षित है। सनसनीखेज खबरों से लोगों का पुलिस पर से विष्वास कम होता है।