राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को कहा कि भारत रक्षा क्षेत्र में केवल बाजार नहीं बल्कि अवसरों की भूमि हैं
नई दिल्ली, 04 फरवरी
बेंगलुरु में एयरो इंडिया-2021 के समापन समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले 6 सालों के दौरान हुई सुधार पहलों ने रक्षा क्षेत्र में निवेश और निजी कंपनियों की भागीदारी संबंधी अप्रत्याशित अवसर पैदा किए हैं। सरकार ने कई नीतिगत पहल की है जिनका उद्देश्य भारत को रक्षा क्षेत्र शीर्ष पर ले जाना और आत्म निर्भर बनते हुए निर्यात को बढ़ावा देना है।
राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार का ध्यान ‘इज ऑफ डूयिंग बिजनेस’ के जरिए देश में उत्पादन इकाइयों की स्थापना चाहिती है। रक्षा क्षेत्र को धीरे-धीरे उदारीकरण की ओर ले जाया जा रहा है। उद्योगों में उत्पादन संख्या से जुड़े लाइसेंस की जरूरत हटा दी गई है। औद्योगिक लाइसेंस और निर्यात से जुड़ी प्रक्रिया को सरल बनाया गया है।
उन्होंने कहा कि रक्षा उद्योग को सहायता देने के साथ मध्यम और लघु उद्योगों को मदद पहुंचाने के लिए उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में दो औद्योगिक कॉरिडोर तैयार किए गए हैं। इन सब का मकसद देश में रोजगार सृजन करना और भारत को रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना है।
‘एयरो इंडिया’ के इतर हिंद महासागर क्षेत्र के रक्षा मंत्रियों के सम्मेलन के आयोजन का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारत हमेशा से सार्वभौमिक शांति और विकास की वकालत करता आया है। इस संदर्भ में हिंद महासागर क्षेत्र प्राकृतिक संसाधनों और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। हमने सागर ‘सिक्योरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल इन द रिजन’ के विचार को आगे रखते हुए हिंद महासागर क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा दिया है। यह महत्वपूर्ण है कि इस क्षेत्र के देश राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और रक्षा क्षेत्र में सहयोग की दिशा में अपना ध्यान केंद्रित करें।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत हमेशा से अपने संसाधनों और अनुभव कौशल को हिंद महासागर के देशों के साथ साझा करने के लिए तैयार रहा है और मानवीय सहायता व आपदा प्रबंधन में योजना व समन्वय प्रदान करता रहा है। कोरोना महामारी के बाद ऑपरेशन सागर-1 के तहत हमने अपने पड़ोसी देशों को मदद पहुंचाने के लिए वहां चिकित्सीय समूह, जांच किट्स, वेंटिलेटर, मास्क, ग्लोवस और अन्य चिकित्सा सामग्री पहुंचाई है।
उल्लेखनीय है कि एयरो इंडिया इंटरनेशनल एयर शो का 13 वां संस्करण 3 से 5 फरवरी तक वायु सेना स्टेशन येलहंका, बेंगलुरु में आयोजित किया गया। 1996 में अपनी स्थापना के बाद से बेंगलुरु इस कार्यक्रम की मेजबानी कर रहा है।