जल्द सुलझेगा केन-बेतवा जल बंटवारा विवाद: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
भोपाल/लखनऊ। मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बीच चले आ रहे नदी जोड़ो परियोजना के तहत केन-बेतवा लिंक परियोजना के पानी बटवारे को लेकर विवाद जल्द ही सुलझ सकता है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसके संकेत दिए है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा कि वे वर्ष 2005 में पानी बंटवारे को लेकर हुए समझौते पर कायम हैं। इस विवाद को सुलझाने को लेकर दोनों राज्यों के बीच संवाद जारी है। कोरोना संकट न आता तो इस विवाद का समाधान अब तक निकल गया होता। लगातार लॉकडाउन की वजह से इस विवाद पर मंथन कुछ समय के लिए टल गया था। जिसे कोरोना संक्रमण की स्थिति में सुधार के बाद प्राथमिकता से निपटाएंगे।
केन-बेतवा के जल बंटवारे को लेकर दोनों राज्यों के बीच कई वर्षो से विवाद चल रहा है। इससे पहले पिछले माह मई में नदी जोड़ो मुहिम के तहत प्रस्तावित केन-बेतवा परियोजना के जल बंटवारे को लेकर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जल संसाधन विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान कहा था कि प्रस्तावित केन-बेतवा परियोजना में मध्य प्रदेश के ज्यादा संख्या में गांव डूबेंगे। जंगल भी हमारा ज्यादा डूबेगा, लेकिन उत्तर प्रदेश अधिक जल चाहता है। उत्तर प्रदेश की मांग व्यावहारिक नहीं है।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा था कि हम मध्य प्रदेश को न्याय दिलवाएंगे। पिछले दिनों केंद्र, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सरकार के अधिकारियों के बीच बैठक के बाद एमओयू की सभी शर्ते तय की गई थीं। इसके तहत उत्तर प्रदेश को रबी के सीजन में परियोजना से 900 मिलियन क्यूबिक मीटर के बजाए 700 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी देने का निर्णय हुआ था, वह भी तब जब मध्य प्रदेश अपने हिस्से के पानी का उपयोग कर चुका होगा और उसके पास जितना अतिरिक्त पानी बचेगा, वह उत्तर प्रदेश को दिया जाएगा।
गौरतलब है कि दोनों ही राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं फिर भी जल बंटवारे पर सहमति नहीं बन पा रही है। केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना को लेकर मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बीच अभी भी पानी की हिस्सेदारी सहित कई मुद्दों पर सहमति नहीं बन पाई है। वही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा है कि वे वर्ष 2005 में पानी बंटवारे को लेकर हुए समझौते पर कायम हैं। 2005 के समझौते को आगे बढ़ाने की प्रक्रिया होती है तो हमें कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीनों में इस मुद्दे पर भारत सरकार ने दोनों प्रदेशों के बीच समन्वय बनाकर प्रक्रिया को काफी तेजी के साथ आगे बढ़ाया है।
उन्होंने उम्मीद जताई है कि केंद्र सरकार के साथ मिलकर दोनों राज्य सरकारें इस समस्या का समाधान निकाल लेंगी, क्योंकि पूरे बुंदेलखंड के लिए यह परियोजना महत्वपूर्ण है। वही पिछले दिनों मध्य प्रदेश के जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट ने कहा था कि हमारा डूब क्षेत्र ज्यादा है। हमारे किसानों को इसका ज्यादा फायदा मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भी इस बात से सहमत हैं। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से एक दौर की बात हो चुकी है। अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ से बात करेंगे। इसके बाद भी हमें हमारा हिस्सा नहीं मिलता है तो प्रदेश के केंद्रीय मंत्रियों के नेतृत्व में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे।
केन-बेतवा लिंक परियोजना के तहत केन नदी से बेतवा नदी तक पानी ले जाने के लिए 231 किमी लंबी नहर बनेगी। जिसके लिए पन्ना टाइगर रिजर्व के पास डोढन पर बड़ा बांध बनाया जाएगा। जिससे मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की 7 लाख हेक्टेयर जमीन सिंचिंत करने का लक्ष्य है। इस परियोजना पर 30 हजार करोड़ रूपए की लागत आ रही है। जिससे मध्य प्रदेश सहित उत्तर प्रदेश में आने वाले बुंदेलखंड की प्यास बुझाने की योजना है। नदियों को जोड़ने की मुहिम 2002 में तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने शुरू की थी। इसमें सबसे पहले केन-बेतवा पर काम शुरू किया गया था। साथ ही इन नदियों के पानी से बुंदेलखंड की प्यास बुझाने का सपना भी बुना गया, लेकिन तब से आज तक यह परियोजना विवादों में ही उलझी हुई है। विवादों के चलते अब तक योजना का शिलान्यास नहीं हो पाया है।