11 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन किसान कल्याण और कृषि राज्य मंत्री को सौपा
जनता दल यूनाइटेड की महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष ने मुलाकात
बांदा। सरकार को किसानों की आय दोगुनी करने के वायदे को पूरा करना चाहिए। बुंदेलखंड में किसानों की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है। किसान अपनी जरूरतों के लिए दर दर भटक रहा है। किसानों द्वारा पैसा देने के बाद भी उर्वरक, बीज और विद्युत आपूर्ति समय से और इफरात में नहीं मिल पा रही है। किसानों के तमाम संगठन सक्रिय हैं जो आए दिन किसी ना किसी तहसील और जिला मुख्यालय में धरना, प्रदर्शन और अनशन करते मिल ही जाते हैं। बुंदेलखंड के बांदा में अन्ना प्रथा किसानों की सबसे बड़ी समस्या है जो सुरसा की तरह मुंह बाए खड़ी है। किसान हालातों के आगे ना उम्मीद हो चुका है। किसानों द्वारा आए दिन आत्महत्या करने की खबरें अखबारों की सुर्खियां आम हो गई हैं। किसानों की इस दुर्दशा का आखिर जिम्मेदार कौन है।
व्यथित, परेशान और हताश किसानों की तमाम समस्याओं का ज्ञापन जनता दल यूनाइटेड की महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष शालिनी सिंह पटेल ने आज लखनऊ के वीवीआईपी गेस्ट हाउस में भारत सरकार के किसान कल्याण एवं कृषि राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर को 11 सूत्रीय ज्ञापन सौंपा और जल्द से जल्द समस्याओं के निराकरण की मांग की है। शालिनी सिंह पटेल ने दूरभाष पर बताया कि कृषि मंत्री के साथ सार्थक भेंट हुई है। कृषि राज्य मंत्री ने जल्द से जल्द समस्याओं के समाधान का आश्वासन दिया है। बतौर शालिनी सिंह पटेल कृषि राज्य मंत्री ने आश्वस्त करते हुए कहा है कि वह निश्चिंत होकर जाए उनकी समास्याओं पर गंभीरता पूर्वक विचार कर ठोस कार्रवाई होगी। पीड़ित को न्याय मिले इसके लिए वह अपने स्तर से प्रभावी कार्यवाही करेंगे। शालिनी सिंह पटेल ने बताया कि उन्होंने किसानों के लिए उर्वरक, पानी, बिजली सहित बांदा जनपद में चल रहे अवैध खनन, ओवरलोडिंग, जिला प्रशासन द्वारा अशोक लाट के मुख्य गेट में ताला लगाए जाने की बात प्रमुखता से रखी है, साथ ही यह भी बताया कि अशोक लाट के बाहर चार दिनों से सडक, स्वास्थ्य, शिक्षा संबंधित मांगों को लेकर शहीदों के ग्राम पांडे पुरवा के ग्रामीण अनशन कर रहें हैं किन्तु उनकी कोई सुनवाई करने वाला नहीं है। जिला प्रशासन को निर्देश दिए जाए की वह स्वयं मौके पर जाए और उनकी समास्याओं को सुन उनका निदान करें। शालिनी सिंह पटेल ने कृषि राज्य मंत्री से यह भी कहा कि बांदा की पीड़ित जनता को वह जगह बताई जाए जंहा वह संवैधानिक तरीके से धरना प्रदर्शन अनशन कर अपनी बात शासन प्रशासन तक पहुचा सकें।