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31 अगस्त को वास्तविक नियंत्रण पर दोनों सेनाएं एक दूसरे के सामने कार्रवाई करने के लिए तैयार खड़ी थी। उन्होंने बताया कि हालात 29 अगस्त से बेहद नाजुक थे। चीन भारतीय सेना द्वारा अपने कब्जे में ली गई अपनी चोटियों को वापस लेने के लिए आगे बढ़ रहा था।

जम्मू, राज्य  सेना की उत्तरी कमान के जनरल आफिसर कमाडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल वाई के जोशी ने कहा है कि गत वर्ष अगस्त माह के अंत में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत सेना व चीन युद्ध के मुहाने पर थे। युद्ध ऐसे समय टला था जब हालात बहुत नाजुक बन गए थे।

पूर्वी लद्दाख में कई अहम चोटियों को भारतीय सेना द्वारा अपने कब्जे में लिए जाने के बाद क्षेत्र में युद्ध के हालात बन गए। गलवन से उपजे हालात में हमारे जूनियर नेतृत्व ने सराहनीय भूमिका निभाई। उन्होंने बताया तिलिमिलाए चीन की सेना की पूरी कोशिश थी कि भारतीय सेना से चोटियां छीनी जाए। ऐसा संभव नही था।

इस समय समझौते के बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा से चीन, भारतीय सेना को पीछे हटाने की मुहिम के बीच लेह दौरे पर पहुंचे आर्मी कमांडर ने बुधवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए बताया कि गत वर्ष 31 अगस्त को वास्तविक नियंत्रण पर दोनों सेनाएं एक दूसरे के सामने कार्रवाई करने के लिए तैयार खड़ी थी। उन्होंने बताया कि हालात 29 अगस्त से बेहद नाजुक थे। चीन भारतीय सेना द्वारा अपने कब्जे में ली गई अपनी चोटियों को वापस लेने के लिए आगे बढ़ रहा था।

जनरल ने बताया कि 31 अगस्त को हमने वास्तविक नियंत्रण रेखा की कैलाश रेंज पर अपने सैनिकों व टैंकों को किसी भी कार्रवाई के लिए तैयार रखा था। हमारा पलड़ा भारी था। चीन की सेना के टैंक ढ़लानों से आगे आ रहे थे। कुछ भी हो सकता था। ऐसे हालात में युद्ध टला जब विकट हालात पैदा हो गए थे।

वहीं गलवन में चीन सेना को हुए नुकसान पर जीओसी इन सी ने बताया कि हमारी सेना ने चीन के करीब 60 सैनिकों को स्ट्रेचर पर डाल कर ले जाते देखा था। अलबत्ता उन्होंने स्पष्ट किया कि यह कहा नही जा सकता है कि स्ट्रेचर पर डाले कर ले जा गए चीनी सैनिक घायल थे या उनकी मौत हो गई थी।

 

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